बुधवार, 25 फ़रवरी 2009

"बबलू" एक एहसास

कितना प्यारा नाम है, सुनने पर प्रतीत होता है कितना प्यारा व शांत है |
जो जुड़ा हुआ है मेरे जीवन से, आदि अनंत काल से,
आपको लगता हो जैसे चंद बरसों की बात है, परंतू ये नाम हमेशा से मेरे साथ है |

कितना प्यारा लगता है अपने होठों से पुकारना हर बात पर,
माएं तो हमेशा अपने शिशुओं के लिए सोचती हैं इस नाम को रहरह कर,
जो मेरे जीवन से जुड़ा है व अंग-अंग में समाया है |

चाहता हूँ कि ये नाम कभी न छुटे मेरे जीवन से,
जिसके कई रूप रंग संजों रखे हैं मैंने अभी से,
इस नाम से कितनी कहानियां व भावनाएं जुडी हैं,
जो बाल्यअवस्था से चलकर युवा अवस्था में पहुंची हैं |

हमेशा सुनना चाहता हूँ इस नाम को, व देना चाहता हूँ इसे भविष्य को,
जाने क्या हो वर्तमान में मेरा पर भविष्य तो सुरक्षित हो,
आपका तो मैं बस बबलू बन कर रहना चाहता हूँ,
मैं रहूँ न रहूँ पर छोटा बबलू आपको प्रतीत होगा कि मैं आपके साथ हूँ |


कुछ अंतरंग बातें : मुझे घर के सदस्य बबलू कहकर पुकारते हैं, पर जब हम अपने सुपुत्र (नक्षत्र)
के लिए 
बबलू नाम को ही सोच रहे थे  तब मैंने ये कविता श्रीमती जीं के लिए लिखी दिनांक : १५-१२-२००४ को.

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