शनिवार, 21 फ़रवरी 2009

कालिया (जगन्नाथ) उसकी आँखें एक सच


चिट्ठाजगत अधिकृत कड़ी
span class="Apple-style-span" style=" white-space: pre-wrap; font-family:-webkit-sans-serif;font-size:14px;">बरबस आंखों में एक ख्वाब से चले आते हैं,
क्या सच हैं तुम्हारा डरना उन रक्षक आंखों से,
जिसने अनंत काल से हमें प्यार दी, सुरक्षा दी, दुनिया की रक्षा की, 
जिसे मानव जाती ने पूजा तारण हार कालिया कहकर, 
वही जिनसे हमें प्रेरणा मिलती हो, आँखे जिनकी समय की कहानी कहती हो,
जाने तुम्हे कैसा उनकी आंखों से डर,
पूरी आवाम उन्हें पुकारती है कालिया माखनचोर कहकर, 
जिनका अमित इतिहास है, जिसने युगों-युगों से मानव जाती की रक्षा की हो तारणहार बनकर, जिन्हें अक्सर मैं देखता हूँ व सोच में डूब जाता हूँ, कि इन्ही बड़ी-बड़ी आंखों ने ही तो हमें प्रेरणा दी है, इन्ही से समय व भाग्य का चक्र नजर आता है,
ऐसा प्रतीत होता है कि पूरी दुनिया पर नजर रखे हुए हैं इनके बड़े-बड़े गोल नयन, 
अक्सर मैंने देखा है नन्हे बालक मचल उठते हैं,
खिलौनों के रूप में उन्हें दिखते हैं, बाल्यरूप में भी वे बड़े प्यारे व अनोखे लगते हैं, 
फिर तुम्हें उनसे कैसा डर, जो हैं हम सब के रहबर.  
श्रीमती जी के लिए लिखा गया दिनांक १५-१२-२००४ को जिन्हें भगवान कालिया के बड़े-बड़े नयन अजीब प्रतीत होते थे

1 टिप्पणी:

  1. वाह्! बहुत खूब........कितना सुन्दर वर्णन किया है आपने भगवान जगन्नाथ जी का.सब देखने वाले की नजर पर निर्भर करता है.
    जाकी रही भावना जैसी
    प्रभु मूरत देखींह तिन वैसी
    आभार......

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